जमीन का पट्टा क्या होता है? देखें नियम के साथ पूरी जानकारी

जमीन का पट्टा क्या होता है देखें नियम के साथ पूरी जानकारी
Jameen ka patta kya hota hai (जमीन का पट्टा क्या होता है?)

भारत में भूमि एक बहुमूल्य संपत्ति है, और इसे कानूनी रूप से अधिकार में लेने के लिए विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। जमीन का पट्टा (Lease Deed) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो किसी व्यक्ति को जमीन के उपयोग का कानूनी अधिकार देता है। अगर आप जमीन खरीदने, बेचने या किराये पर लेने की सोच रहे हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि पट्टा क्या होता है और इससे जुड़े नियम क्या हैं।

जमीन का पट्टा क्या होता है?

जमीन का पट्टा एक कानूनी दस्तावेज है जो यह प्रमाणित करता है कि कोई व्यक्ति या संस्था किसी निश्चित अवधि के लिए किसी जमीन का कानूनी रूप से उपयोग कर सकती है। यह पट्टा सरकारी अथवा निजी संस्थाओं द्वारा दिया जा सकता है और इसके अंतर्गत जमीन का उपयोग कृषि, आवासीय या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

💡सरल भाषा में कहें तो, यह जमीन के मालिक और किरायेदार (Leaseholder) के बीच एक कानूनी समझौता होता है, जिसमें जमीन के उपयोग के लिए नियम व शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी होती हैं।

जमीन के पट्टे कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में भूमि के पट्टे / जमीन के पट्टे कई प्रकार के होते हैं, जो उनके स्वामित्व, उपयोग और कानूनी स्थिति के आधार पर बाटे जाते हैं। प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. लीज होल्ड पट्टा (Leasehold Land)

  • यह एक प्रकार का भूमि पट्टा है जिसमें व्यक्ति या संगठन को एक निश्चित समय के लिए भूमि का उपयोग करने का अधिकार मिलता है।
  • यह अवधि 30 से 99 वर्षों तक हो सकती है, जिसके बाद पट्टे का नवीनीकरण करवाना पड़ता है।
  • पट्टाधारक इस जमीन पर निर्माण कर सकता है और उपयोग कर सकता है, लेकिन उनके पास पूरा अधिकार/ मालिकाना हक नहीं होता है।।
  • सरकार या निजी मालिक इस पट्टे को जारी कर सकते हैं।
  • आमतौर पर सरकारी भूमि, आवासीय प्रोजेक्ट्स, और वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए लीज होल्ड पट्टे दिए जाते हैं।

2. फ्रीहोल्ड पट्टा (Freehold Land)

  • इस प्रकार की जमीन पर मालिक को पूर्ण स्वामित्व (Absolute Ownership) प्राप्त होता है।
  • फ्रीहोल्ड जमीन को खरीदा, बेचा या हस्तांतरित किया जा सकता है।
  • इसमें किसी प्रकार का समय-सीमा नहीं होती, और जमीन का मालिक इसे उत्तराधिकार (Inheritance) के रूप में भी सौंप सकता है।
  • यह जमीन लीज होल्ड के विपरीत होती है क्योंकि इसमें सरकार या किसी अन्य एजेंसी का कोई नियंत्रण (Control) नहीं होता।
  • फ्रीहोल्ड संपत्तियां अधिक मूल्यवान होती हैं और इन पर बैंक से लोन लेना आसान होता है।

3. अग्रेमेंट टू लीज (Agreement to Lease)

  • यह एक अस्थायी समझौता (Temporary Agreement) होता है, जिसमें लीज पर देने से पहले कुछ शर्तें तय की जाती हैं।
  • इसमें यह लिखा होता है कि पट्टा किस उद्देश्य से दिया जा रहा है, और किन नियमों का पालन करना होगा।
  • जब दोनों पक्ष (मालिक और पट्टाधारक) इस समझौते को पूरा कर लेते हैं, तब पूर्ण लीज़ डीड (Lease Deed) तैयार की जाती है।
  • यह आमतौर पर कृषि, वाणिज्यिक और औद्योगिक भूमि के लिए किया जाता है।

4. रिवाइज्ड पट्टा (Renewable Lease)

  • यह एक ऐसा पट्टा होता है जिसमें एक निश्चित समय के बाद इसे नवीनीकृत (Renew) किया जा सकता है।
  • आमतौर पर 30, 60 या 99 वर्षों के लिए यह पट्टा दिया जाता है, और तय समय पूरा होने पर इसे फिर से बढ़ाया जा सकता है।
  • यदि पट्टाधारक सभी शर्तों का पालन करता है, तो उसे स्वतः ही पट्टे के नवीनीकरण का अधिकार मिल जाता है।
  • यह व्यवस्था ज्यादातर कृषि और सरकारी भूमि पट्टों में देखी जाती है।

5. लैंड ग्रांट (Land Grant)

  • यह विशेष रूप से सरकार द्वारा किसी व्यक्ति, समूह या संगठन को निश्चित उद्देश्यों के लिए भूमि प्रदान करने की प्रक्रिया होती है।
  • यह अनुदान (Grant) आमतौर पर कृषि, सार्वजनिक उपयोग, धार्मिक, शैक्षणिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
  • इस प्रकार के पट्टे के अंतर्गत जमीन को किसी विशेष उद्देश्य के लिए कम शुल्क या निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
  • उदाहरण के लिए, सरकार गरीबों को आवासीय उपयोग के लिए जमीन उपलब्ध करवा सकती है।

6. इंफॉर्मल या वर्बल पट्टा (Informal or Verbal Lease)

  • यह एक अनौपचारिक (Informal) या मौखिक समझौता होता है, जिसमें जमीन का उपयोग बिना किसी लिखित दस्तावेज़ के किया जाता है।
  • इसमें कानूनी रूप से कोई विशेष सुरक्षा नहीं होती, क्योंकि कोई लिखित प्रमाण नहीं होता।
  • यह ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाता है, जहां किसान या छोटे व्यवसायी बिना आधिकारिक पट्टा लिए ही जमीन का उपयोग करते हैं।
  • भविष्य में विवाद (Dispute) होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि कोई लिखित समझौता नहीं है।
  • कई राज्यों में अब सरकारें ऐसे अनौपचारिक पट्टों को आधिकारिक रूप देने के लिए योजनाएं चला रही हैं।

पट्टे किन प्रकार की जमीनों के लिए मिलते हैं?

भारत में विभिन्न उद्देश्यों के लिए जमीन का पट्टा (Lease) दिया जाता है। यह पट्टे आमतौर पर सरकारी या निजी संस्थानों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए जारी किए जाते हैं। पट्टे का प्रकार इस बात पर निर्भर करता है कि जमीन का उपयोग किस उद्देश्य से किया जा रहा है। नीचे प्रमुख प्रकार की जमीनों के लिए मिलने वाले पट्टों की जानकारी दी गई है:

1. कृषि भूमि (Agricultural Land) के लिए पट्टा

  • यह पट्टा किसानों या कृषि कंपनियों को खेती करने के लिए दिया जाता है।
  • इसमें केवल कृषि, बागवानी, डेयरी फार्मिंग या अन्य संबंधित गतिविधियों की अनुमति होती है।
  • सरकार गरीब और भूमिहीन किसानों को न्यूनतम शुल्क या निःशुल्क भी यह पट्टा दे सकती है।
  • पट्टे की अवधि आमतौर पर 30 से 99 वर्षों तक होती है।
  • इसे रिवाइज्ड पट्टा के रूप में नवीनीकृत किया जा सकता है।

2. आवासीय भूमि (Residential Land) के लिए पट्टा

  • यह पट्टा उन व्यक्तियों या परिवारों को दिया जाता है जो घर बनाने या रहने के लिए जमीन किराये पर लेना चाहते हैं।
  • कई सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों और कमजोर वर्गों को कम लागत पर आवासीय पट्टा दिया जाता है।
  • इसमें लीज होल्ड (Leasehold) और फ्रीहोल्ड (Freehold) दोनों प्रकार के पट्टे दिए जाते हैं।
  • पट्टे की अवधि आमतौर पर 30 से 99 वर्षों तक होती है।
  • नगर निगम और ग्राम पंचायतें इस तरह के पट्टे जारी करती हैं।

3. वाणिज्यिक भूमि (Commercial Land) के लिए पट्टा

  • यह पट्टा उन व्यक्तियों, कंपनियों या व्यवसायिक समूहों को दिया जाता है जो दुकान, मॉल, होटल, ऑफिस या किसी अन्य व्यावसायिक कार्य के लिए भूमि किराये पर लेना चाहते हैं।
  • यह आमतौर पर लीज होल्ड के आधार पर दिया जाता है और सरकार या निजी संस्थान इसकी शर्तें तय करते हैं।
  • पट्टे की अवधि 30 से 99 वर्षों तक होती है।
  • इस प्रकार की जमीन पर कई बार मासिक या वार्षिक किराया भी देना होता है।

4. औद्योगिक भूमि (Industrial Land) के लिए पट्टा

  • यह पट्टा उन कंपनियों या व्यक्तियों को दिया जाता है जो फैक्ट्री, उत्पादन इकाई, वेयरहाउस या किसी अन्य औद्योगिक उद्देश्य के लिए जमीन का उपयोग करना चाहते हैं।
  • यह आमतौर पर सरकारी औद्योगिक विकास निगम (Industrial Development Authority) द्वारा जारी किया जाता है।
  • पट्टे की अवधि 30 से 99 वर्षों तक होती है और इसे आगे बढ़ाने का विकल्प होता है।
  • औद्योगिक पट्टे पर कंपनियों को विशेष छूट या टैक्स बेनिफिट भी दिए जा सकते हैं।

5. वन भूमि (Forest Land) के लिए पट्टा

  • यह विशेष रूप से वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरणीय उद्देश्यों या वृक्षारोपण के लिए दिया जाता है।
  • इसमें जमीन का उपयोग सख्त नियमों और शर्तों के अनुसार ही किया जा सकता है।
  • सरकार अनुसंधान संस्थानों, वन विभाग, या कुछ विशेष परियोजनाओं के लिए यह पट्टा जारी करती है।
  • वन भूमि पट्टे की अवधि 10 से 50 वर्षों तक हो सकती है।

6. खनन भूमि (Mining Land) के लिए पट्टा

  • यह पट्टा उन कंपनियों को दिया जाता है जो खनिज उत्खनन (mining), कोयला, पत्थर, धातु और अन्य खनिज पदार्थ निकालने का कार्य करती हैं।
  • यह पट्टा सरकार द्वारा लाइसेंसिंग प्रक्रिया के तहत जारी किया जाता है
  • पट्टे की अवधि आमतौर पर 10 से 30 वर्षों तक होती है।
  • इसमें पर्यावरणीय नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।

7. धार्मिक या संस्थागत भूमि (Religious/Institutional Land) के लिए पट्टा

  • यह पट्टा मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए दिया जाता है।
  • इसके अलावा, यह पट्टा स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, एनजीओ और अन्य सामाजिक संगठनों को भी दिया जा सकता है।
  • सरकार विशेष शर्तों के तहत यह पट्टा जारी करती है, और इसमें बाजार दर से कम शुल्क लिया जाता है
  • पट्टे की अवधि आमतौर पर 30 से 99 वर्षों तक होती है।

8. सरकारी योजनाओं के तहत विशेष भूमि पट्टे

कुछ विशेष सरकारी योजनाओं के अंतर्गत भी जमीन के पट्टे दिए जाते हैं:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) – गरीबों को आवासीय पट्टा उपलब्ध कराना।
  • भूमिहीन किसान योजना – किसानों को खेती के लिए कृषि भूमि पट्टा देना।
  • स्टेट लैंड अलॉटमेंट स्कीम (State Land Allotment Scheme) – राज्य सरकारों द्वारा गरीबों और जरूरतमंदों को जमीन देना।
  • SC/ST विशेष भूमि योजना – अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लोगों को पट्टा प्रदान करना।

जमीन के पट्टे के नियम और कानून

भारत में भूमि पट्टे से जुड़े विभिन्न कानून लागू होते हैं, जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं:

  • भूमि सुधार कानून – यह किसानों और गरीबों को जमीन उपलब्ध कराने के लिए लागू किया गया था।
  • राजस्व अधिनियम – यह जमीन से जुड़े करों (Taxes) और शुल्कों को निर्धारित करता है।
  • नगर निगम अधिनियम – शहरी क्षेत्रों में जमीन के पट्टे से जुड़े नियमों को निर्धारित करता है।
  • अनुसूचित जाति/जनजाति भूमि सुरक्षा कानून – यह कमजोर वर्गों की भूमि को सुरक्षित करने के लिए लागू किया गया है।

जमीन का पट्टा प्राप्त करने की प्रक्रिया

जमीन का पट्टा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं:

  1. आवेदन पत्र जमा करें – संबंधित सरकारी विभाग में पट्टे के लिए आवेदन करें।
  2. दस्तावेज़ प्रस्तुत करें – पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न (Attach) करें।
  3. जांच प्रक्रिया – प्रशासनिक अधिकारी आवेदन की जांच करते हैं और यदि आवश्यक हो तो भूमि का निरीक्षण करते हैं।
  4. स्वीकृति और दस्तावेज़ निर्माण – आवेदन स्वीकृत होने पर पट्टे के दस्तावेज़ तैयार किए जाते हैं।
  5. पंजीकरण और शुल्क भुगतान – पट्टे को आधिकारिक रूप से पंजीकृत कराया जाता है और आवश्यक शुल्क का भुगतान किया जाता है।

जमीन के पट्टे से जुड़े दस्तावेज़

जमीन का पट्टा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:

  1. आधार कार्ड और पहचान पत्र – आवेदक की पहचान सुनिश्चित करने के लिए।
  2. भूमि संबंधित पूर्व दस्तावेज़ – यदि पहले से कोई पट्टा जारी किया गया हो, तो उसकी प्रतिलिपि।
  3. निवास प्रमाण पत्र – यह साबित करने के लिए कि आवेदक उसी क्षेत्र का निवासी है।
  4. आय प्रमाण पत्र – विशेष रूप से गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए।
  5. भूमि का नक्शा और सीमांकन दस्तावेज़ – यह दर्शाने के लिए कि जमीन कहां स्थित है और उसकी सीमाएं क्या हैं।
  6. पट्टा आवेदन पत्र – आधिकारिक फॉर्म जो संबंधित प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
  7. पट्टा शुल्क और स्टांप ड्यूटी भुगतान की रसीद – पट्टे के पंजीकरण के लिए अनिवार्य।

पट्टे और फ्रीहोल्ड संपत्ति में अंतर

भूमि स्वामित्व को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि पट्टा और फ्रीहोल्ड संपत्ति में क्या अंतर होता है।

विशेषतापट्टा (Leasehold Property)फ्रीहोल्ड (Freehold Property)
स्वामित्व अधिकारकेवल तय अवधि के लिएस्थायी रूप से मालिक का अधिकार
नवीनीकरण की जरूरतहां, पट्टा समाप्त होने परनहीं, यह स्थायी स्वामित्व होता है
बेचने का अधिकारसीमित होता है, मालिक की अनुमति लेनी पड़ती हैस्वतंत्र रूप से बेचा जा सकता है
सरकार द्वारा हस्तक्षेपसरकार पट्टा समाप्त कर सकती हैसरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता

अगर आप जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको पहले यह तय करना होगा कि आपको पट्टा आधारित संपत्ति चाहिए या फ्रीहोल्ड संपत्ति।

जमीन के पट्टे का नवीनीकरण कैसे करें?

अगर आपके पट्टे की अवधि समाप्त होने वाली है, तो आपको इसका नवीनीकरण करवाना जरूरी है। पट्टे के नवीनीकरण की प्रक्रिया इस प्रकार है:

  1. आवेदन जमा करें – संबंधित विभाग में पट्टे के नवीनीकरण के लिए आवेदन करें।
  2. दस्तावेज़ संलग्न करें – पुराना पट्टा, पहचान पत्र, और अन्य दस्तावेज़ जमा करें।
  3. फीस का भुगतान करें – सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क अदा करें।
  4. निरीक्षण और स्वीकृति – अधिकारी जांच के बाद नवीनीकरण की स्वीकृति देते हैं।
  5. पंजीकरण और नया दस्तावेज़ प्राप्त करें – नवीनीकरण के बाद आपको नया पट्टा जारी किया जाएगा।

पट्टे का कानूनी महत्व

पट्टा केवल एक कागजी दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि इसका कानूनी महत्व भी बहुत ज्यादा है। यह प्रमाणित करता है कि जमीन पर आपका अधिकार कानूनी रूप से मान्य है। पट्टा होने से:

  • जमीन के दावे को लेकर कानूनी सुरक्षा मिलती है।
  • सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  • संपत्ति को गिरवी रखकर बैंक से लोन लिया जा सकता है।
  • किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचा जा सकता है।

जमीन का पट्टा ट्रांसफर करने की प्रक्रिया

अगर कोई व्यक्ति अपनी पट्टे वाली जमीन को किसी और को देना चाहता है, तो उसे ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके लिए:

  1. संबंधित प्राधिकरण से अनुमति लें – बिना अनुमति के पट्टा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
  2. आवेदन जमा करें – ट्रांसफर के लिए आधिकारिक आवेदन पत्र भरें।
  3. नए धारक के दस्तावेज़ जमा करें – पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, और अन्य जरूरी दस्तावेज़ दें।
  4. करों और शुल्कों का भुगतान करें – ट्रांसफर प्रक्रिया के लिए निर्धारित शुल्क अदा करें।
  5. पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें – ट्रांसफर को आधिकारिक रूप से दर्ज करवाएं और नया पट्टा प्राप्त करें।

जमीन का पट्टा समाप्त होने की स्थिति में क्या करें?

अगर पट्टा समाप्त हो जाता है, तो निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • नवीनीकरण के लिए आवेदन करें।
  • अगर नवीनीकरण संभव न हो, तो सरकार से पुनः आवंटन की मांग करें।
  • जमीन को खाली करने के लिए कानूनी रूप से उपयुक्त कदम उठाएं।

पट्टे से संबंधित विवाद और समाधान

कई बार पट्टे को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। इनका समाधान इस प्रकार किया जा सकता है:

  • स्थानीय प्रशासन से शिकायत करें – विवादित भूमि का समाधान प्रशासन कर सकता है।
  • राजस्व विभाग से संपर्क करें – अगर मामला सरकारी पट्टे से जुड़ा हो।
  • न्यायालय में याचिका दायर करें – कानूनी रूप से अपने अधिकार की रक्षा के लिए।

पट्टे से जुड़े कर और शुल्क

पट्टा लेते समय निम्नलिखित शुल्क चुकाने होते हैं:

  • स्टांप शुल्क – पंजीकरण के समय चुकाना पड़ता है।
  • पट्टा शुल्क – सरकार या निजी संस्थान को सालाना देना पड़ता है।
  • पंजीकरण शुल्क – पट्टे को आधिकारिक रूप से दर्ज कराने के लिए।
  • नवीनीकरण शुल्क – पट्टे के नवीनीकरण के लिए निर्धारित राशि।

सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं

सरकार समय-समय पर विभिन्न योजनाएं लाती है, जिससे गरीबों और किसानों को जमीन का पट्टा मिल सके। कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं इस प्रकार हैं:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना – गरीबों को आवासीय भूमि पट्टा उपलब्ध कराने के लिए।
  • भूमि सुधार योजना – किसानों को खेती के लिए भूमि पट्टा देने की योजना।
  • स्टेट लैंड अलॉटमेंट स्कीम – राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं।

निष्कर्ष

जमीन का पट्टा एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज होता है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को भूमि का उपयोग करने का अधिकार प्रदान करता है। अगर आप पट्टे से संबंधित कोई प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं, तो पहले इसके नियमों और प्रक्रियाओं को अच्छे से समझें। सही दस्तावेज़ और आवश्यक शुल्क अदा करके आप कानूनी रूप से पट्टे की भूमि पर अपने अधिकार को सुरक्षित कर सकते हैं।

FAQs

1. जमीन का पट्टा कितने साल के लिए मिलता है?

पट्टा आमतौर पर 30 से 99 वर्षों के लिए जारी किया जाता है, लेकिन यह पट्टे के प्रकार और सरकारी नियमों पर निर्भर करता है।

2. क्या पट्टे वाली जमीन को बेचा जा सकता है?

नहीं, पट्टे वाली जमीन को सीधे नहीं बेचा जा सकता। इसके लिए संबंधित प्राधिकरण से अनुमति लेनी होती है।

3. पट्टे का नवीनीकरण कैसे किया जाता है?

पट्टे के नवीनीकरण के लिए आवेदन जमा करना, शुल्क का भुगतान करना और आवश्यक दस्तावेज़ जमा करना जरूरी होता है।

4. क्या पट्टा और रजिस्ट्री एक ही चीज़ है?

नहीं, पट्टा जमीन का अस्थायी उपयोग अधिकार देता है, जबकि रजिस्ट्री फ्रीहोल्ड संपत्ति का स्थायी स्वामित्व प्रदान करती है।

5. क्या सरकार गरीबों को मुफ्त में पट्टा देती है?

हां, सरकार कई योजनाओं के तहत गरीबों और पिछड़े वर्गों को मुफ्त में पट्टा प्रदान करती है।

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