जमीन का पुराना रिकॉर्ड कैसे निकालें UP में? जाने पूरी प्रक्रिया विस्तार से

UP में जमीन का पुराना रिकॉर्ड कैसे निकालें? जाने पूरी प्रक्रिया विस्तार से
UP में जमीन का पुराना रिकॉर्ड कैसे निकालें?

अगर आप उत्तर प्रदेश (UP) में अपनी या किसी और की जमीन का पुराना रिकॉर्ड खोजना चाहते हैं, तो आपको सही प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। पुराने जमीन रिकॉर्ड निकालने की प्रक्रिया अब पहले से आसान हो गई है, क्योंकि सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध कराए हैं। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएगे की UP में जमीन का पुराना रिकॉर्ड आप कैसे निकाल सकते है।

जमीन के रिकॉर्ड का महत्व

  • मालिकाना हक का सबूत: यह साबित करता है कि जमीन का असली मालिक कौन है।
  • खरीद-फरोख्त में सहूलियत: जमीन खरीदने या बेचने से पहले उसके रिकॉर्ड की जांच करना जरूरी होता है।
  • विवादों से बचाव: यदि किसी जमीन पर विवाद है, तो पुराने रिकॉर्ड यह साबित करने में मदद कर सकते हैं कि असली हकदार कौन है।
  • लोन लेने में मदद: बैंक से लोन लेने के लिए जमीन का रिकॉर्ड अनिवार्य होता है।
  • विरासत हस्तांतरण (Transfer): संपत्ति वारिसों में बांटने के लिए पुराना रिकॉर्ड जरूरी होता है।

उत्तर प्रदेश में उपलब्ध जमीन के रिकॉर्ड के प्रकार

  • खतौनी:- यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें यह जानकारी होती है कि किसी विशेष भूमि का मालिक कौन है।
  • खसरा:- यह भूमि का खसरा नंबर और उससे जुड़ी जानकारी देता है।
  • जमाबंदी:- इससे पता चलता है कि जमीन पर किसका कब्जा है और उनके पास कितनी जमीन है।
  • भूलेख:- यह ऑनलाइन पोर्टल है, जहां से आप किसी भी जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड देख सकते हैं।

जमीन का पुराना रिकॉर्ड देखने की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

भारत में जमीन से जुड़े दस्तावेज बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर जब संपत्ति का स्वामित्व, खरीद-फरोख्त, कानूनी विवाद या विरासत से संबंधित मामलों की बात आती है। जमीन के पुराने रिकॉर्ड देखने की जरूरत कई कारणों से पड़ सकती है, जो निम्नलिखित हैं:

  • जमीन के स्वामित्व की पुष्टि:- पुराने रिकॉर्ड यह साबित करने में मदद करते हैं कि किसी भूमि का असली मालिक कौन है। यदि किसी संपत्ति पर विवाद होता है, तो यह दस्तावेज मालिकाना हक साबित करने में सहायक होते हैं।
  • जमीन खरीदने से पहले जांच-पड़ताल:- यदि कोई व्यक्ति किसी जमीन को खरीदना चाहता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि बेचने वाले व्यक्ति के पास जमीन के स्वामित्व (ownership) के सही दस्तावेज हैं या नहीं। पुराने रिकॉर्ड देखकर यह पुष्टि की जा सकती है कि जमीन पर कोई कानूनी विवाद तो नहीं है।
  • भूमि से जुड़े कानूनी विवादों को हल करने के लिए:- कई बार एक ही जमीन पर एक से अधिक दावेदार होते हैं, जिससे विवाद खड़ा हो सकता है। ऐसे मामलों में पुराने रिकॉर्ड देखने से यह पता लगाया जा सकता है कि असली मालिक कौन था और समय के साथ मालिकी हक में क्या बदलाव हुए हैं।
  • विरासत और उत्तराधिकार से संबंधित मामलों के लिए:- यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी संपत्ति वारिसों में बांटी जानी है, तो पुराने रिकॉर्ड यह साबित करने में मदद करते हैं कि संपत्ति का असली वारिस कौन है। इससे अनधिकृत कब्जे (Unauthorized occupation) और धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।
  • बैंक से ऋण (लोन) लेने के लिए:- यदि किसी को जमीन के आधार पर बैंक से लोन लेना है, तो बैंक पुराने जमीन रिकॉर्ड की मांग करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्ति कानूनी रूप से सही है और उस पर कोई विवाद नहीं है।
  • भूमि के वास्तविक क्षेत्र और उपयोग का पता लगाने के लिए:- पुराने रिकॉर्ड यह भी दिखाते हैं कि किसी विशेष भूमि का क्षेत्रफल क्या था और समय के साथ उसमें कोई बदलाव हुआ या नहीं। इससे यह पुष्टि की जा सकती है कि कोई अनधिकृत अतिक्रमण (Unauthorized encroachment) तो नहीं हुआ है।
  • सरकारी योजनाओं और मुआवजे के लिए:- सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी या मुआवजा प्रदान करती है। इसके लिए जमीन के स्वामित्व और खेती की स्थिति को सत्यापित करना आवश्यक होता है, जिसे पुराने रिकॉर्ड के माध्यम से किया जाता है।
  • संपत्ति के सही विवरण की पुष्टि के लिए:- जमीन का खसरा, खतौनी, जमाबंदी और भूलेख रिकॉर्ड में दर्ज जानकारी कई बार बदल जाती है। पुराने रिकॉर्ड देखने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दस्तावेजों में कोई गलत बदलाव तो नहीं किया गया है।
  • अतिक्रमण और अवैध कब्जे से बचाव के लिए:- यदि कोई व्यक्ति किसी जमीन पर अवैध कब्जा कर लेता है, तो मालिक पुराने रिकॉर्ड दिखाकर यह साबित कर सकता है कि वह जमीन का असली हकदार है और कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
  • संपत्ति कर और राजस्व भुगतान के लिए:- पुराने रिकॉर्ड यह दिखाते हैं कि किसी जमीन पर पिछले वर्षों में कितना कर चुकाया गया है और क्या कोई बकाया भुगतान बचा है।

UP में जमीन का पुराना रिकॉर्ड निकालने के तरीके

यूपी में में जमीन का रिकॉर्ड निकालने के तरीके दो तरीके है।

  1. ऑनलाइन (Online)
  2. ऑफलाइन (Offline)

ऑनलाइन प्रक्रिया ( UP Bhulekh पोर्टल के माध्यम से )

  • जमीन का रिकॉर्ड देखने के लिए आपको आपको सबसे पहले UP भूलेख पोर्टल (https://upbhulekh.gov.in/) पर जाना होगा।
  • UP bhulekh पोर्टल पर जाने के बाद आपके सामने कुछ विकल्प आएगे जिसमे से आपको “खतौनी (अधिकार अभिलेख) की नक़ल देखे” इस विकल्प पर क्लिक कर करना होगा।
UP Bhulekh Portal
UP Bhulekh Portal
  • इसके बाद आपके सामने पॉप-अप के रूप में captacha code भरने का विकल्प आएगा।
UP Bhulekh
UP Bhulekh
  • कॅप्टचा कोड बर्न के बाद आपके सामने ऐसा इंटरफ़ेस खुलेगा जैसा आपको निचे दिखाई दे रहा होगा। अब आप को यूपी की जिस ज़मीन का रिकॉर्ड देखना है उस के अनुसार अपना जिला, तहसील और गाँव चुनें।
UP Bhulekh Portal से जमीन का रिकॉर्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया
UP Bhulekh
  • इसके बाद आपके सामने एक दूसरा पेज खुलेगा जिसमे आपको 4 ऑप्शन दिए जाएगे
    • खसरा/गाटा संख्या
    • खाता संख्या
    • खातेदार के नाम
    • नामांतरण दिनांक
UP Bhulekh Portal से जमीन का रिकॉर्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया
UP Bhulekh
  • आपके पास इनमे से जो चीज़ उपलब्ध है, उसको डालकर आप अपनी ज़मीन के रिकॉर्ड को देख सकते है।
  • सभी जानकारी डालने के बाद आपके सामने आपकी ज़मीन का रिकॉर्ड खुल जाएगा।
UP Bhulekh Portal से जमीन का रिकॉर्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया
UP भूलेख
  • अब आप इस रिकॉर्ड को डाउनलोड भी कर सकते है और जरूरत पड़ने पर इसका प्रिंट भी निकाल वा सकते है।

ऑफलाइन प्रक्रिया (विभाग से)

  1. तहसील कार्यालय जाएं: संबंधित जमीन जिस जिले में है, वहां की तहसील में जाएं।
  2. अधिकारियों से संपर्क करें: लेखपाल या अन्य राजस्व अधिकारियों से जानकारी लें।
  3. रिकॉर्ड की मांग करें: पुराने दस्तावेज़ों की प्रति प्राप्त करने के लिए आवेदन करें।
  4. प्रमाणित प्रति लें: संबंधित अधिकारी से प्रमाणित कॉपी प्राप्त करें।

राजस्व विभाग से जमीन का रिकॉर्ड प्राप्त करने की प्रक्रिया

  • संबंधित जिले के राजस्व विभाग कार्यालय जाएं।
  • जमीन से संबंधित सही जानकारी दें।
  • आवेदन पत्र भरकर आवश्यक शुल्क जमा करें।
  • दिए गए समय पर प्रमाणित दस्तावेज़ प्राप्त करें।

जमीन के रिकॉर्ड की प्रमाणिकता की जांच कैसे करें?

  • भूलेख पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी को क्रॉस-चेक करें।
  • राजस्व विभाग से सत्यापित कॉपी लें।
  • लेखपाल या तहसील से संपर्क कर जानकारी पुष्ट करें।

यदि जमीन का रिकॉर्ड ना मिले तो क्या करें?

  • तहसील कार्यालय में जाकर पुराने रजिस्टर की जांच करें।
  • राजस्व अधिकारी से मदद लें।
  • RTI (सूचना का अधिकार) के तहत आवेदन करें।
  • अदालत में अर्जी दाखिल करें।

जमीन रिकॉर्ड से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज

  • खतौनी
  • खसरा
  • जमाबंदी
  • भूलेख दस्तावेज
  • विक्रय पत्र (Sale Deed)

पुराने जमीन रिकॉर्ड निकालने में आने वाली सामान्य समस्याएं

  • गलत नाम या खसरा नंबर दर्ज होने से जानकारी नहीं मिलती।
  • ऑनलाइन पोर्टल पर पुराना डेटा उपलब्ध नहीं होता।
  • सरकारी कार्यालयों में रिकॉर्ड खोजने में अधिक समय लग सकता है।

भूमि विवाद से बचने के लिए सुझाव

  • समय-समय पर जमीन का रिकॉर्ड चेक करें।
  • सभी दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति अपने पास रखें।
  • कोई भी संपत्ति खरीदने से पहले उसके रिकॉर्ड की पुष्टि करें।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में जमीन का पुराना रिकॉर्ड निकालने की प्रक्रिया अब पहले से आसान हो गई है। सरकार द्वारा ऑनलाइन भूलेख पोर्टल उपलब्ध कराया गया है, जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से अपनी भूमि का रिकॉर्ड देख सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. UP में जमीन का रिकॉर्ड देखने के लिए कौन-सा पोर्टल है?

UP Bhulekh Portal (https://upbhulekh.gov.in/)

2. जमीन के पुराने रिकॉर्ड कितने साल तक उपलब्ध होते हैं?

आमतौर पर 30-50 साल तक के रिकॉर्ड उपलब्ध होते हैं।

3. यदि ऑनलाइन रिकॉर्ड न मिले तो क्या करें?

तहसील कार्यालय में जाकर पुराने दस्तावेजों की जांच करें।

4. खतौनी और खसरा में क्या अंतर है?

खतौनी में मालिक की जानकारी होती है, जबकि खसरा में भूमि का विवरण दर्ज होता है।

5. जमीन के दस्तावेज कैसे प्रमाणित करें?

तहसील कार्यालय या राजस्व विभाग से प्रमाणित प्रति प्राप्त करें।

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